शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

अनुसंधान और विकास को मिलेगा प्रोत्साहन

प्रधानमंत्री ने 99वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का किया उद्घाटन
भुवनेष्वर/दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मंगलवार को भुवनेष्वर स्थित कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रीयल टेक्नोलाजी विष्वविद्यालय के परिसर में आयोजित 99वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उदघाटन करते हुए कहा कि वर्श 2017 तक 12वीं योजना में विकास और अनुसंधान पर खर्च होने वाली धनराषि को दोगुना किया जायेगा। महान वैज्ञानिक श्री एम.एस. रामानुजन के प्रति श्रद्धांजली अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री वर्श 2012 को गणित वर्श के रूप में मनाने की घोशणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा यह लक्ष्य होना चाहिए कि अनुसंधान एवं विकास पर होने वाला खर्च 12वीं योजना अवधि के समाप्त होने तक सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम दो प्रतिषत हो जाए, जो इस समय महज एक प्रतिषत है। इस लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है, यदि उद्योग, जो आज के समय में अनुसंधान एवं विकास के कुल खर्चें के एक-तिहाई हिस्से का योगदान करता है, अपने योगदान में महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी करें। इस पांच दिवसीय आयोजन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ दषक से विज्ञान की दुनिया में भारत अन्य देषों से काफी पीछे रह गया है। चीन जैसे देष काफी आगे निकल गए हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां काफी बदली हैं लेकिन, जो हमने अर्जित किया है उतने में ही संतोश नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सार्वजनिक और निजी भागीदारी को बढ़ाना होगा और सार्वजनिक नियंत्रण वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों और उद्योगों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ाना होगा। यह कुछ हास्यास्पद ही है कि जनरल इलेक्ट्रिक और मोटोरोला ने भारत में विष्व स्तरीय प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किये हैं, जबकि षायद औशधि क्षेत्र को छोड़कर हमारी अपनी कंपनियों ने ऐसा नहीं किया। इसलिए जरुरत इस बात की है कि हम लोग भारतीय परिस्थितियों के मुताबिक अनुसंधान और विकास में निजी निवेष को प्रोत्साहित करने के तरीके एवं ऐसे रास्तों पर गौर करें। प्रधानमंत्री ने बताया कि सुपर कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में एक राश्ट्रीय क्षमता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें