शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

अब बाजारों में मिलेगा जैविक कीट नियंत्रक पर्यावरण अनुकूल एवं मानव स्वास्थ्य के हित में होगा उपयोगी सिद्ध

देहरादून। किसानों की फसल को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए बाजार में कई प्रकार के रासायनिक उत्पाद उपलब्ध है। कई कम्पनीयां दावा करती है कि उनके उत्पाद से हानिकारक कीट नष्ट हो जायेंगे। लेकिन किसानों को ये मालूम नही होता है कि इन रासायनिक उत्पादों का प्रयोग से करने से न केवल उनकी फसलों को बल्कि पर्यावरण और मानव शरीर को भी नुकसान पहुंचता है। पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य को देखते हुए उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी विभाग एक ऐसा उत्पाद तैयार कर रहा है, जो पर्यावरण अनुकूल है, साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार कोई हानि नही पहुुंचेगी। राज्य जैव प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डॉ. जे.एम.एस.राणा ने बताया कि इस उत्पाद को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य रसायनिक कीट नियंत्रकों का उपयोग कम करने, उत्तराखण्ड में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने तथा जैविक उत्पादों का उपयोग बढ़ाना है। इस उत्पाद पर        अनुसंधान संबंधी कार्य करने का जिम्मा जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, पटवाडांगर (नैनीताल) को दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास एक ऐसा जैविक कीट उत्पाद तैयार करने का है, जो कीटों के प्रभाव को कम करने तथा उन्हें फसलों से दूर भगाने का काम करेगा। अभी तक जो भी उत्पाद बाजारों में उपलब्ध है, वे केवल फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करते है, साथ ही फसलों पर भी उन रसायनों का प्रभाव पड़ता है, जो मानव शरीर को नुकसान पहुंचाते है। डॉ. राणा का कहना है कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किये जाने वाले उत्पाद का नाम जैविक कीट नियंत्रक रखा गया है और इसको बनाने की तकनीक भी काफी सरल रखी गई है, ताकि स्थानीय स्तर पर लोग इसे तैयार कर सके। इस उत्पाद के बाजार में आने पर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसमें उपयोग होने वाली जड़ी बूटियों को स्थानीय स्तर पर उगाया जा सकेगा। इस बात पर भी जोर दिया जायेगा कि लोग छोटी-छोटी यूनिट लगाकर इस उत्पाद को तैयार करें। जैव प्राद्योगिकी संस्थान, पटवाडांगर के वैज्ञानिक तथा इस उत्पाद के खोजकर्ता डा. विषाल कुमार ने बताया कि है कि इस कार्ययोजना पर अनुसंधान संबंधी कार्य पूरा कर लिया गया है। जैविक कीट नियंत्रक को तैयार करने में उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों तथा पंचगव्य उत्पादों से बनाया जायेगा। यह कीट नियंत्रण करने में तो सक्षम है ही अपितु मानव स्वास्थ्य पर भी इसका कोई बुरा प्रभाव नही है। इसे चार रूपों में तैयार किया जा रहा है, जिसमें से दो तैयार हो चुके हैं तथा अन्य दो पर जल्दी ही कार्य पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने यह उत्पाद ठोस स्वरूप (स्टिक फार्म), छिड़काव हेतु तरल द्रव्य (द्रवीय रूप), तरल द्रव्य (विद्युत वाश्पीकरण) तथा लोशन (तरल क्रीम) चार प्रकार से तैयार किया जायेगा। श्री कुमार ने बताया कि तैयार कीट नियंत्रक के व्यवसायीकरण हेतु विज्ञापन अभी प्रक्रिया में है और हमारा प्रयास है कि बहुत शीघ्र ही यह जैविक कीट नियंत्रक उत्पाद बाजार में उपयोग हेतु उपलब्ध हो सके। 

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