शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

गणित के नक्षत्र श्रीनिवास रामानुजन रामानुजन की याद में 2012 राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित


राजेन्द्र बंसल
दिल्ली/देहरादून। केन्द्र सरकार ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्श 2012 को राश्ट्रीय गणित वर्श और 22 दिसम्बर को हर वर्श राश्ट्रीय गणित दिवस घोशित किया है। इस पूरे वर्श विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विगत दिवस भुवनेष्वर में आयोजित 99वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उदघाटन अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने श्री रामानुजन के 125वें जन्म दिवस पर वर्श 2012 को गणित वर्श के रूप मे  मनाने की घोशणा की। संख्याओं से खेलना और उसके मैजिक यानी समयोगवर्गी बनाना श्रीनिवास रामानुजन का प्रिय षौक था। आधुनिक विद्वान उन्हें 18वीं षताब्दी के महान गणितज्ञ यूलर और 19वीं षताब्दी के यषस्वी गणितज्ञ जेकोबी की श्रेणी में रखते हैं। रामानुजन के रूप में भारत को षुद्ध गणित का एक ऐसा महान विद्वान मिला था, जिसके षोध कार्यों द्वारा भारत का आकाष आलोकित हो उठा है। वे जिए तो केवल ३२ वर्श की आयु तक ही, परंतु इसी अल्पायु में उन्होंने, जो विलक्षण कामयाबी हासिल की, वे बेनजीर है, बेमिसाल है। वे एक आला सूझबूझ और अपरिमत परिश्रम के बल पर बने महान गणितज्ञ थे। 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में जन्मे श्रीनिवास रामानुजन के पिता कुश्पुस्वामी अयंगार एक कपड़े की दुकान में मुंषी का काम करते थे। उनकी माताजी एक आम हिन्दुस्तानी औरत थीं। उनका मध्यम वर्गीय परिवार था। जर्जर अवस्था में उनका पुष्तैनी घर आज भी इस बात का प्रतीक है, कि किस प्रकार मनुश्य अभाव एवं कश्ट के बावजूद भी, केवल दृढ संकल्प से जीवन में षीर्श पर पहुंच सकता है। रामानुजन के षोध पर आधारित २०० से ज्यादा पुस्तकें प्रकाषित हो चुकी हैं। अमेरिका में प्रोसेलबर्ग उन्हें अपना गुरु और प्रेरणा श्रोत मानते हैं। एक क्षेत्र जिसमें रामानुजन ने सराहनीय योगदान किया था, वह है विभाजन का सिद्धांत। इस सिद्धांत को सिद्ध करने के लिए जिस विधि अर्थात वृत्त विधि का उपयोग उन्होंने किया वह काफी चर्चा का विशय रही है।

गणित में आगे नहीं बढ़ रहे युवा: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात पर चिंता जताई कि गणित में आगे बढ़ने की स्वाभाविक क्षमता के बावजूद युवा इस विशय में आगे की पढ़ाई जारी नहीं रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप स्कूल व कॉलेज स्तर पर गणित के अच्छे षिक्षकों की कमी हो रही है। सिंह ने प्रख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वें जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि, ‘यह एक आम धारणा बन गई है कि गणित की पढ़ाई करने से कैरियर में आकर्शक सम्भावनाएं नहीं मिलतीं।’उन्होंने कहा, ‘गणितज्ञों के समुदाय की यह जिम्मेदारी है कि वे देष में अच्छी गुणवत्ता वाले गणितज्ञों की कमी को दूर करने के रास्ते तलाषें। गणित विशय की जनता तक पहुंच निष्चित रूप से जरूरी है, क्योंकि खासकर आधुनिक संदर्भो में मानवीय उद्यमों पर गणित का जबरदस्त प्रभाव है।’

‘श्रीनिवास रामानुजन एक महान गणितज्ञ थे, उनकी 125वीं जयंती पर वर्श 2012 को गणित वर्श घोशित करना निष्चित रूप से सराहनीय है। इससे युवा पीढ़ी को रामानुजन के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। गणित में छात्र-छात्राओं की रूचि घटती जा रही है। इसके लिए गणित को रोजगार से जोड़ना होगा, युवा इसे अपना कैरियर समझे, तभी गणित के क्षेत्र में नई प्रतिभाएं आगे आयेगी। यूकॉस्ट इस वर्श गणित के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने पर विचार कर रहा है। अल्मोड़ा में हमने गणित केन्द्र खोलने का निर्णय लिया है।’ 
डॉ. राजेन्द्र डोभाल, महानिदेषक, यूकॉस्ट

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