शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

विज्ञान कांग्रेस: मील का पत्थर

‘‘भुवनेष्वर में आयोजित हुई पांच दिवसीय राश्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में कई बातें महत्वपूर्ण रही है।  प्रधानमंत्री द्वारा अनुसंधान एवं विकास के लिए दी जाने वाली धनराषि को दोगुना करने की बात कही गई है। यह सराहनीय कदम है, इससे षोध कार्य कर रहे वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही विज्ञान के क्षेत्र किये जा रहे कार्यों को और      अधिक गति मिलेगी। इन्स्पायर योजना को और अधिक प्रभावी बनाने की बात कही गई है। इस योजना को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने से युवाओं को नये अवसर मिलेंगे। विज्ञान कांग्रेस में इस बात पर जोर दिया गया है कि 12वीं पंचवर्शीय योजना में विष्वविद्यालयों और राश्ट्रीय प्रयोगषालाओं के बीच अधिक अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा दिया जायेगा। महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘दिषा’ योजना षुरू की गई है। यह सराहनीय कदम है। 
                                                                                                     डॉ. राजेन्द्र डोभाल महानिदेषक, यूकॉस्ट
राश्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस मील का पत्थर साबित होगी।’’

99वें राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये भाषण में दो बिन्दु सबसे महत्वपूर्ण रहे है, जिनमें एक तो निजी अनुसंधान और विकास के निवेश को प्रोत्साहहित करने के उपाय तथा दूसरा वैज्ञानिक बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। इन बातों पर यदि अमल होता है, तो विज्ञान के क्षेत्र में हम अन्य देशों से  आगे निकल सकते है। विज्ञान को नई गति मिलेगी। युवाओं में शोध कार्यों के प्रति रूचि बढेगी। उत्तराखण्ड में प्रचुर मात्रा में जैव विविधता है, यदि यहां के भौगोलिक वातावरण के अनुकूल वैज्ञानिकों को बुनियादी सुविधाएं मिलेगी, तो देश और विकास हित में कई महत्वपूर्ण शोध कार्य सामने आयेंगे। राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस सफल रही है और इससे शोध कार्यों को नई दिशा मिलेगी। 
                                                                        डॉ. जे.एम.एस.राणा, निदेशक,  जैव प्रौद्योगिकी विभाग

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