शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

बौद्धिक संपदा पर दो दिवसीय कार्यषाला शुरू

देहरादून 13 अगस्त, 2010 (एजेंसी) उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद (यूकॉस्ट) एवं राष्ट्रीय शोध विकास निगम (एनआरडीसी) की ओर से बौद्धिक संपदा तथा ज्ञान युग में खोज प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का उद्घाटन करते हुए प्रो. एएन पुरोहित ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार के संबंध में युवा वैज्ञानिकों को जानकारी व जागरूकता उन्हें भविष्य में अपने शोध कार्यों को पेटेंट द्वारा संरक्षण कर उसके औद्योगिकीकरण में सहायता करेगी। यूकॉस्ट के निदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंउ ज्ञान संपदा तथा अपनी सूझबूझ से किए गए अविष्कारों से भरी पड़ी है तथा उसे संबंधित विशेषज्ञों व वैज्ञानिक समुदाय द्वारा निखार एवं सुधार कर एक नए कलेवर में प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को एक नया बौद्धिक संपदा अधिकार केंद्र स्थापित करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
एनआरडीसी के उपप्रबंधक वीके जैन ने कहा कि उत्तराखंड तथा राष्ट्र के शोध कर्मी एक और महत्वपूर्ण समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन एनआरडीसी द्वारा इस दिशा में अब तक किए गए प्रयासों के सार्थक फल हमे शीघ्र ही दिखाई देंगे।

बुधवार, 11 अगस्त 2010

वैज्ञानिक उपाध्याय ने जिंगो बाइलोबा के 1100 पौध तैयार की

11 अगस्त, 2010: देहरादून एजेंसी
सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डा. एस.के. उपाध्याय ने जिंगो बाइलोबा नामक चमत्कारिक पौधे की करीब 1100 पौध तैयार की हैं। यह पौधा करोड़ों वर्ष पुराना है, जो अभी तक देश में कुछ जगह ही पाया जाता है था और विलुप्ति के कगार पर है। अब इसे पौधे तैयार होने से इसे देशभर बांटा जा सकेगा। प्रागैतिहासिक काल से भी करोड़ों वर्ष पूर्व का जिंगो नामक यह पौधा विश्व में बेहद कम हैं। पूरे भारत में केवल सात पौधे हैं, वो भी उत्तराखंड में। औषधीय गुणों से लबरेज यह पौधा बुढ़ापे के स्मृति लोप के अलावा हृदय रोग, कैंसर, ग्लूकोमा और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को दूर करता है। इस पौधे पर कई खोज हो चुकी हैं। खासकर चीन और जापान के वनस्पति विज्ञानियों ने इस पर काफी काम किया है। बकौल डॉ. उपाध्याय, कार्बन डेटिंग के हिसाब से वैज्ञानिकों ने इस पौधे का इतिहास करीब 27 करोड़ वर्ष पुराना आंका है। मैरीलेंड मेडिकल सेंटर, अमेरिका ने इसकी पुष्टि की है। भारत में इस पौधे की उपलब्धता कम होने से यहां के वैज्ञानिक इस पर कोई खोज करने में अब तक अक्षम रहे हैं। जबकि बुढ़ापे की बीमारियों पर लगातार खोज करने वाले जर्मनी के वैज्ञानिक प्रो. राल ऐले की रिसर्च बताती है कि जिंगो का प्रयोग करने से धमनियों में रक्त प्रवाह में होने वाली बाधा, जिससे हृदय रोग होता है और गठिया जैसी बीमारियां दूर की जा सकती हैं।