सोमवार, 29 मार्च 2010

किसान ने किया हवा से चलने वाले आॅटो का आविश्कार

ऊधमसिंहनगर (वि.एन.)ः विज्ञान के क्षेत्र में अक्सर कहा जाता है कि आवष्यकता ही आविश्कार की जननी है और इसी बात को झनकट के सड़ासड़िया गांव निवासी अशोक ने चरित्रार्थ किया है। उन्होंने एक ऐसा इंजन तैयार किया है जो हवा से चलेगा। इस इंजन से आॅटो भी चलाया जा सकेगा। इससे प्रदूषण का खतरा कम होने के साथ तेल की बचत भी होगी साथ ही प्रति किमी का खर्चा सिर्फ पचास पैसा आएगा। 
श्री अषोक ने पहली बार 1982 में पानी से चलने वाला इंजन तैयार किया था। इस इंजन से पंपिंग सेट चलाए जा सकते थे। साथ ही क्षमता बढ़ाकर इससे आरा मशीन, ग्राइंडिंग मशीन और क्रेशर तक चलाए जा सकते थे। इन परेशानियों को देखते हुए उन्होंने अन्य विकल्पों पर काम जारी रखा। उसका फल यह हुआ कि 28 वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने हवा से चलने वाला इंजन बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। प्रयोग के तौर पर अभी वह कंप्रेसर से इंजन में हवा छोड़ते हैं। इससे बनने वाला प्रेशर पिस्टन और पिस्टन मोटर को चला देता है। हवा से चलने वाले अॉटो में एक सिलेंडर होगा, जिसमें हवा भरी रहेगी। उसके प्रेशर से इंजन चलेगा। हर दस किलोमीटर के बाद सिलेंडर में हवा भरी जाएगी। एक बार हवा भरने का खर्च मात्र पांच रुपये आता है। इस तरह दस किलोमीटर की यात्रा पांच रुपये में हो जाएगी। अशोक के इस अभिनव आविष्कार को राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान एवं साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने मान्यता दी है। अशोक को प्रौद्योगिकी पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 
अशोक ने बताया कि आठ माह के भीतर कंप्रेस्ड इंजन से चलने वाला अॉटो रिक्शा बाजार में आ जाएगा। इस अॉटो में ड्राइवर के अलावा चार सवारियों के लिए जगह होगी। इंजन को बनाने में होंडा बाइक के पिस्टन और के्रंक का इस्तेमाल किया गया है। क्षमता बढ़ाने के बाद इससे थ्रेसर, क्रेसर मशीन, ग्राइडिंग मशीन, आरा मशीन आदि भी चलाई जा सकेंगी।