गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

एड्स के टीके की खोज

एड्स के टीके की खोज
साइंस जर्नल ने अमरीका के कैलिफोर्निया में ला जोला स्थित स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डेनिस बर्टन के हवाले से बताया कि वैज्ञानिकों ने लाइलाज बीमारी एड्स के विषाणुओं को मारने वाले दो एंटीबॉडीज की खोज करने में सफलता हासिल की है। जिससे अब एड्स का टीका शीघ्र ही बन सकेगा। वैज्ञानिकों द्वारा पीड़ित कुल 1800 लोगों के खून का नमूना लेकर उनमें एड्स विषाणुओं पर आक्रमण करने वाली शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता शक्ति (एंटीबॉडिज) के नमूनों की पहचान की है। अब इस पहचान से एड्स का टीका बनाने की कोशिश को आगे ब-सजय़ाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक का इस्तेमाल कर इन विषाणुओं से निपटने के लिए पीजी-ंउचय9 और पीजी-ंउचय16 नाम के दो एंटीबॉडिज को -सजय निकाला है। इस खोज में उन्हें दस साल लग गए। वैज्ञानिकों ने एड्स विषाणुओं के नए भाग को भी -सजय निकाला है, जहां ये एंटीबॉडिज हमला करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये एंटीबॉडिज विषाणुओं के पिछले हिस्से पर हमला करते हैं। इन वैज्ञानिकों के अनुसार इस खोज के बाद वे एंटीबॉडिज को कमजोर करके टीका बनाने की दिशा में तेजी से आगे ब-सजय़ सकते हैं, जिससे कि इन कमजोर एंटीबॉडिज को शरीर में डालने के बाद सक्रिय करवा कर एड्स के विषाणुओं को उत्पन्न होने से रोका जा सके। एड्स का टीका बनाने की दिशा में पहले एक बड़ी समस्या इसके विषाणुओं द्वारा अपने डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) कर लेने की थी।

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