गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

चिकित्सा क्षेत्र में नई क्रांति

हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के.सिंह ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं के माता-पिताओं का आह्वान किया है कि वे अपने प्रतिदिन के कार्य में से कुछ समय विज्ञान के लिए निकाले, ताकि बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा, अभिनव परिवर्तन एवं आविष्कारों के प्रति रूचि बढ़ सके। जो मानव कल्याण के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ने से वे इस ओर अपना ध्यान बढ़ायेंगे और देश के विकास में सहयोगी बनेंगे। श्री सिंह टाउन हाॅल, श्रीनगर में लोकहित फाउण्डेशन संस्था देहरादून तथा यूकाॅस्ट द्वारा ‘एन्हांसमेंट आॅफ साइनटिफिक टेम्पर एण्ड इनोवेशन स्किल्स इन स्कूल चिल्ड्रेन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। श्री सिंह ने कहा कि शिक्षकों को छात्र-छात्राओं के अलावा उनके माता पिता को भी विज्ञान के प्रति जागरूक करना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि लोकहित फाउण्डेशन संस्था का यह सराहनीय प्रयास है कि वह विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को भी विज्ञान के अभिनव प्रयोगों पर आधारित कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए, ताकि बच्चें विज्ञान की बारीकियों को समझ सके और विज्ञान से जुड़ी नवीन जानकारियों को जान सके। निदेशक यूकाॅस्ट डाॅ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि छात्र-छात्राआंे को अपने आस-पास घटने वाली घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और किसी भी अन्ध विश्वास पर ध्यान नही देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को आज के आधुनिक युग में किसी भी घटना को खुले दिमाग से देखते हुए उसे समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूकाॅस्ट सदैव ऐसे लोगों की सहायता करने के लिए तैयार है, जो विज्ञान के लिए कार्य करना चाहते है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग एवं आविष्कार करने की काफी संभावनाएं है। उन्होंने इस दिशा में छात्रों को अधिक रूचि लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी छात्र-छात्रा को विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य करने में मदद की आवश्यकता हो, तो वह यूकाॅस्ट से सम्पर्क कर सकते है। लोकहित फाउण्डेशन संस्था की अध्यक्षा श्रीमती बिथी चन्द्रमोहन ने कहा कि बच्चों में विज्ञान की सोच और आविष्कार के प्रति क्षमता का विकास करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से संस्था इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करती हैं। उन्होंने कहा कि आज देश को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक अपनी भूमिका निभाये। देश को प्रतिभाशाली वैज्ञानिक मिले, इसके लिए आवश्यक है कि अभी से बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ायी जाय। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी में विज्ञान के प्रति रूचि घटती जा रही है, जो चिन्ता का विषय है। उन्होंने इसके लिए सभी अध्यापकों का आह्वान किया कि वे बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करें। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विचार और नये आविष्कार सदा से ही मानव विकास के लिए आवश्यक रहे है और वर्तमान समय में विज्ञान और तकनीक ने मानव की आवश्यकताओं को और बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों के लगभग 100 से अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। बच्चों ने कार्यशाला में विज्ञान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया और विज्ञान के पारंपरागत विधियों के बारे में भी जानकारी ली। इस अवसर पर दिल्ली, ग्वालियर, देहरादून एवं मेरठ से आये विषेशज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये और स्कूली बच्चो के साथ विज्ञान से जुड़े मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किये। कार्यशाला में आये बच्चों को विज्ञान के संबंध में जानकारी दी गई तथा विज्ञान से जुड़े प्रयोगों कराये गये, ताकि बच्चे इसे व्यवहारिक रूप से समझ सके। लोकहित संस्था ने कृषि क्षेत्र में शोध कार्य किये है और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये है। अब तक विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 1500 से अधिक लोगों को विज्ञान प्रसार संबंधी कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

चिकित्सा क्षेत्र में नई क्रांति

भारतीय मूल के वैज्ञानिक श्री वेंकटरमन रामाकृष्णन को उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है। लेकिन शायद कम ही लोग होंगे जिन्हें यह पता होगा कि आखिर उन्होंने क्या शोध किया है और उसके दूरगामी क्या फायदे होंगे। श्री रामाकृष्णन द्वारा किये गये शोध को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। श्री रामाकृष्णन ने राइबोसोम पर शोध किया है, जिससे अब लोगों का बेहतर इलाज हो सकेगा। उनके और उनकी टीम द्वारा किये गये शोध से अब यह जानना आसान हो गया है कि एंटी बॉयोटिक दवा कैसे राइबोसोम के साथ जुड़कर प्रोटीन का बनना बंद कर सकती है। इससे अब किसी बीमारी को ब-सजय़ने से रोकने में मदद मिलेगी, साथ ही चिकित्सक यह भी जान सकेंगे कि कौन से वायरस के लिए कौन सी एंटी बाॅयोटिक दवा दी जाय। कैंब्रिज इंग्लैंड में एमआरसी मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लेबोरेटरी में स्ट्रक्चरल स्टडीज डिवीजन में ग्रुप लीडर और वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री रामाकृष्णन ने मैम्ब्रेन बायोकेमिस्ट डॉ. मौरिसियो मोंटल के निर्देशन में शोध कार्य शुरू किया। डॉ.पीटर मूर के साथ इस शोध के बाद उन्होंने ब्रुक हेवन नेशनल लेबोरेटरी की नौकरी कर ली। फिर उन्होंने डॉ.स्टीफन व्हाइट के साथ कई राइबोसोमल प्रोटीन्स से जीन के क्लोन बनाने तथा उसके थ्री-ंउचयडी चित्र तैयार करने का शोध किया। इंग्लैंड कैम्ब्रिज में एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलिक्युलर बायोलॉजी में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर कार्य करते हुए उन्होंने नोबेल हासिल करने वाले वह तेरहवें वैज्ञानिक बने।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें