शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

वैज्ञानिक अध्ययन से प्राकृतिक रेशों को रोजगार से जोड़ा जाय: डाॅ. निशंक

देहरादून, 04 दिसम्बर। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक रेशा बैंक स्थापित किया जायेगा। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि सरकारी स्टेशनरी, फाइल फोल्डर इत्यादि के लिए प्राकृतिक रेशे एवं अन्य कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित सामग्री के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाय। प्राकृतिक रेशे से बने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड में दिल्ली हाट की तर्ज पर नये हाट भी विकसित किये जाने चाहिये। मुख्यमंत्री डाॅ. निशंक शुक्रवार को आई.सी.एफ.आर.ई. के सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा वर्ष के अवसर पर उत्तराखण्ड बांस एवं रेशा विकास परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डाॅ. निशंक ने कहा कि प्राकृतिक रेशों से बने वस्त्रों एवं अन्य उत्पादों का वैज्ञानिक विश्लेषण कर उनके गुणों से लोगों को परिचित कराना चाहिए। लोगों में यह प्रचार करना होगा कि यदि धरती की बढ़ती उष्णता को समाप्त करना है, तो प्राकृतिक रेशों एवं अन्य कुदरती उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग करें। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यदि वैज्ञानिक अध्ययन किया जाय, तो यह तथ्य स्थापित होगा कि प्राकृतिक रेशे से बने कपड़े शरीर को अधिक आराम देते है। इन कुटीर उत्पादों के लिए प्रबन्धन एवं विपणन की एक ठोस नीति बनाई जानी चाहिए। उत्पादों के डिजाइन के लिए प्रोफेशनल डिजाइनरों की सेवा ली जानी चाहिए, जिससे ये उत्पाद राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगो को आकर्षित कर सकें। पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की चिंता कर रही है। वे देश यह चर्चा अधिक कर रहे, जिन्होंने सर्वाधिक रूप से पर्यावरण को प्रदूषित किया है। जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए यथा संभव कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विशेष रूप से उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में, जहां बड़े कल कारखाने नही लग सकते, वहां पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए कुटीर उद्योग एक बेहतर माध्यम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हथकरघा और हस्तशिल्प के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। रोजगार, आर्थिक उत्थान, जड़ी बूटी आयुर्वेद, आजीविका और अन्य ग्राम्य विकास की योजनाओं को मिलाकर एक समग्र नीति बनाई जाय। रोजगार सृजन के कार्यक्रमों से मातृ शक्ति को जोड़ा जाय। सरकार ने सम्पूर्ण ग्रामीण विकास के उद्देश्य से अटल आदर्श ग्राम योजना शुरू की है। उत्तराखण्ड की अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सुरक्षित एवं समृद्ध भारत के लिए विकसित एवं खुशहाल उत्तराखण्ड पहली आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही विशिष्ट अतिथि एवं दस्तकारी हाट समिति नई दिल्ली की अध्यक्ष जया जेटली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक रेशे के उत्पादों को सराहा है। दिल्ली हाट में आयोजित होने वाली आगामी प्रदर्शनी के लिए उत्तराखण्ड की सहभागिता का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे नवोदित राज्य में प्राकृतिक रेशा विकास बोर्ड का गठन एक सराहनीय कदम है। मुख्य सचिव एन.एस.नपलच्याल ने कहा कि उत्तराखण्ड हथकरघा हस्तशिल्प विकास परिषद का गठन किया गया है। कुटीर उद्योगों के उत्पादों के लिए हिमाद्रि नाम से ब्रांडिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हाल ही में सिल्क पार्क की स्थापना की गई है और मुख्यमंत्री के विजन 2020 के अंतर्गत 50 हजार से अधिक लोगों को रेशम उद्योग से जोड़ा जा रहा है। उत्तराखण्ड बांस एवं रेशा विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.टी.एस.लेप्चा ने बताया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2009 को अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा वर्ष घोषित किया गया है। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम एवं देश भर से आये विशेषज्ञ, विभिन्न स्वयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, गणमान्य लोग आदि उपस्थित थे।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आप सभी का धन्यवाद। आप ने विज्ञान न्यूज को सराहा। आशा है भविष्य में भी आप अपने सुझाव और मार्गदर्शन देते रहेंगे।

    धन्यवाद

    सुरेश भट्ट
    संपादक
    विज्ञान न्यूज

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  2. thanks for u
    ples send your suggetion and views about thos blog

    regards

    suresh bhatt
    9719157901

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  3. एक अच्छा प्रयास है दोस्त आपको मेरी बहुत शुभकामना

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