रविवार, 25 अक्तूबर 2009

माइग्रेन की वजह से दिमाग की बनावट में बदलाव

माइग्रेन की वजह से दिमाग की बनावट में बदलाव
देहरादून 25 अक्टूबर
माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति की दिमागी संरचना अन्य लोगों से थोड़ी अलग होती है। यह अंतर खासतौर पर दिमाग के कॉर्टेक्स क्षेत्र में होता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के बाद यह जानकारी दी है।


हालाँकि शोध में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इस अंतर की वजह से किसी को माइग्रेन की बीमारी होती है या फिर माइग्रेन की वजह से दिमाग की बनावट में बदलाव आता है।

शोधकर्ता टीम ने ऐसे 24 लोगों की ब्रेन स्कैनिंग की, जो लंबे समय से माइग्रेन से जूझ रहे थे। उनके साथ ही 12 स्वस्थ लोगों के ब्रेन की स्कैनिंग की गई। उन्होंने पाया कि माइग्रेन पीड़ितों का कार्टेक्स यानी दिमाग का वह हिस्सा जो दर्द, स्पर्श या तापमान जैसी संवेदनाओं को महसूस करता है, अन्य लोगों की तुलना में 21 फीसदी मोटा होता है।

शोध का नेतृत्व करने वाली मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की डॉ. नौशील हैदजीखनी ने बताया कि सबसे ज्यादा अंतर सिर और चेहरे से जुड़ी सेंसरी इंफॉर्मेशन की प्रोसेसिंग के लिए जिम्मेदार कार्टेक्स के हिस्से में देखने को मिला। उन्होंने कहा कि अध्ययन से माइग्रेन की गंभीरता भी सामने आई है। इस बीमारी को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह दिमाग में बदलाव ला सकती है।

डॉ. नौशीन कहती हैं कि एक संभावना यह हो सकती है कि कार्टेक्स जैसे दिमाग के सेंसरी फील्ड में लंबे समय तक बार-बार उत्तेजना या उकसाव से वह मोटा होने लगता है। दूसरी संभावना यह हो सकती है कि जिन लोगों का कार्टेक्स मोटा होता है उन्हें आगे चलकर माइग्रेन का सामना करना पड़ता हो।

यह है माइग्रेन : माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो आधे सिर में होता है। इसके साथ उल्टी होने की शिकायतें भी होती है। महिलाओं में यह बीमारी पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा होती है।

कई लोगों में यह बीमारी आनुवांशिक होती है। डॉ. नौशीन कहती हैं कि हम माइग्रेन के कारणों को जितना ज्यादा समझ सकेंगी, इसके इलाज के लिए उतनी ही प्रभावी दवाइयाँ बनाई जा सकेंगी।

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