गुरुवार, 12 नवंबर 2009

किसानों के लिए लाभदायक बने कृषि - डा. पं

किसानों के लिए लाभदायक बने कृषि - डा. पंत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस सम्पन्न
पंतनगर। 12 नवम्बर, 2009। तीन-दिवसीय राज्य स्तरीय उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का आज समापन हुआ। गांधी हाल में अपराह्न से आयोजित समापन समारोह के मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरजेश पंत थे जबकि समारोह की अध्यक्षता पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बी.एस. बिष्ट ने की। इस अवसर पर कृषि धन के निदेशक, डा. जी.के. गर्ग, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के पूर्व सलाहकार श्री आर. शाह तथा उत्तराखण्ड काउंसिल आॅफ सांइस एण्ड टैक्नोलाॅजी के निदेशक, डा. राजेन्द्र डोभाल जी मंचासीन थे। डा. गिरजेश पंत ने अपने विचारोत्तेजक सम्बोधन में कहा कि कृषि को वास्तव में उत्पादक बनाने हेतु तथा किसानों के लिए लाभदायक बनाने हेतु सरकार की सहायता आवश्यक है तभी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किसानों की हितार्थ बन पायेगी। डा. पंत ने कहा कि प्रथम हरित क्रांति के समय सरकार को यह भान था कि खाद्यान्न में आत्म निर्भर हुए बिना देश की आजादी को बनाये रखना मुश्किल होगा। इस लिए कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकारी मशीनरी का पूरा सहयोग रहा। किन्तु अब औद्योगिक क्षेत्र की ओर अधिक ध्यान के कारण कृषि की ओर सरकारी सहयोग कम हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की विज्ञान एवं तकनीक कृषि व्यवसायिकों की ओर अधिक केन्द्रित है जिससे किसानों को अधिक लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा कृषि उनके लिए आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं हो पा रही है। डा. पंत ने सरकारी सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि आज 40 प्रतिशत किसान मौका मिलने पर खेती को छोड़ने के लिए तैयार हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि जब तक परिस्थितियों को नहीं बदला जायेगा तब तक दूसरी हरित क्रांति का प्रादुर्भाव होना मुश्किल होगा। कुलपति डा. बी.एस. बिष्ट ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड के सभी विज्ञान एवं तकनीकी संस्थानों को आपसी सहयोग के साथ नये क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों की एक टास्क फोर्स बनाये जाने की आवश्यकता है। जो प्रदेश के विभिन्न नीतियों के निर्माण में अपने ज्ञान का योगदान कर सकें। डा. आर. शाह ने कहा कि यह विज्ञान कांग्रेस अन्य इस प्रकार के सम्मेलनों से अलग है क्योंकि इसमें प्रौद्योगिकी को भी उचित स्थान दिया गया है। उन्होंने विज्ञान द्वारा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन का समाज व कृषि पर पड़ रहे प्रभाव के अध्ययन की भी आवश्यकता बतायी। समापन समारोह में निदेशक, कृषि धन, जालना के निदेशक, डा. जी.के. गर्ग ने चैथे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस को सफल बताते हुए आशा व्यक्त की कि उत्तराखण्ड राज्य में विज्ञान की गुणवत्ता एवं युवा वैज्ञानिकों के उत्साह को देखते हुए राज्य का भविष्य उज्जवल होगा। इस कार्यक्रम मंे देश के विभिन्न संस्थानों से आये हुए वैज्ञानिकों द्वारा कांग्रेस मंे दिये गये शोध प्रस्तुतिकरण के आधार पर कुल 46 वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक, डा. राजेन्द्र डोभाल ने तीन दिनांे तक चले कांग्रेस का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए इसमंे हुयी प्रमुख संस्तुतियों के बारे में बताया। अधिष्ठाता मानविकी, डा. बी.आर.के. गुप्ता ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष, आणविक जीव विज्ञान एवं आनुवांशिक प्रौद्योगिकी एवं कांग्रेस के आयोजन सचिव, डा. अनिल कुमार गुप्ता ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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