
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009
वैज्ञानिक अध्ययन से प्राकृतिक रेशों को रोजगार से जोड़ा जाय: डाॅ. निशंक

बुधवार, 2 दिसंबर 2009
दो दिवसीय पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ

राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन के लिए एक्शन प्लान तैयार करेगी: डाॅ. निशंक
देहरादून 02 दिसम्बर। मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि जब पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सभी योजनाओं को पूरी ताकत के साथ धरती पर उतारा जाय। पर्यावरण संरक्षण की योजनाओं को लागू करने में जो व्यावहारिक कठिनाईयां उत्पन्न हो रही हैं उन पर भी विचार-विमर्श होना चाहिए। मुख्यमंत्री डा. निशंक बुद्धवार को भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के सभागार में उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा सीआईआई उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान मंे आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। यह दो दिवसीय कार्यशाला राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस और राष्ट्रीय संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की गई है। मुख्यमंत्री डा. निशंक ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन पर एक एक्शन प्लान तैयार कर रही है और यदि आवश्यकता हुई तो जलवायु परिवर्तन पर आधारित एक अलग विभाग के गठन के सुझाव पर भी विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण शोध केन्द्र की स्थापना पर भी विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और विशेष रूप से वृक्षारोपण कार्यक्रम से जोड़ने के लिए पाठ्यक्रम में आवश्यक सामग्री का समावेश किया जायेगा साथ ही साल भर में निश्चित संख्या में वृक्षारोपण करने और लगाये गये पौधों की देखभाल करने के लिए बच्चों को अंक भी प्रदान किए जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्थानीय सम्पदा एवं संसाधन के आधार पर उद्योगों को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने प्रदूषण मुक्त उद्योगों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के साथ ही लोगों की चिन्ता भी करनी होगी। उत्तराखण्ड के जन का जल, जंगल और जमीन के साथ सकारात्मक समन्वय किया जाना आवश्यक है। अगर लोगों को प्राकृतिक संसाधनों के उपयोेग से रोका जा रहा है तो उन्हें उपयुक्त विकल्प भी प्रदान करने होंगे। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के साथ ही व्यक्ति के मानसिक एंव आन्तरिक प्रदूषण को दूर करने की आवश्यकता भी बताई। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परायें पूर्णतः वैज्ञानिक हैं और उन्हें ग्राह्य बनाने के लिए धर्म से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरू रहा है और आज पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के लिए भारत को विश्व का नेतृत्व करना होगा। मुख्यमंत्री डाॅ. निशंक ने यू-काॅस्ट की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पत्रिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री विशन सिंह चुफाल ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि और तेजी से हो रहा नगरीकरण पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही स्थानीय जनता का सहयोग भी आवश्यक है। मुख्य सचिव इन्दु कुमार पाण्डे ने कहा कि पर्यावरण एवं उद्योगों का साथ-साथ सतत विकास एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि उद्योगों को न्यूनतम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए। अपर मुख्य सचिव एन एस नपलच्याल ने कहा कि उत्तराखण्ड में 12 हजार वन पंचायतें हैं, जो 3 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र की देखरेख करती हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक आर्गेनिक एवं हर्बल स्टेट के रूप में आगे बढ़ रहा है। कार्यशाला में हैदराबाद से आये गोदरेज ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट के निदेशक एस रघुपति ने कार्बन फुट प्रिंट और ग्रीन बिल्डिंग्स पर आधारित एक व्यापक प्रस्तुतीकरण दिया। यू-कास्ट के निदेशक डा. राजेन्द्र डोभाल ने कार्यशाला में धन्यवाद ज्ञापित किया। डाॅ. डोभाल ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त भी किये। इस अवसर सीआईआई उत्तराखण्ड के अध्यक्ष राकेश ओबेराॅय, दून विश्वविद्यालय के कुलपति गिरजेश पंत सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, उद्योगपति एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
सोमवार, 30 नवंबर 2009
जनवरी 2010 में राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान निबंध प्रतियोगिता का आयोजन
देहरादून 30 नवम्बर, 2009 राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, इण्डिया द्वारा ‘इण्डियन स्पेस मिशन’ विषय पर विज्ञान निबंध प्रतियोगिता का आयोजन आगामी जनवरी 2010 तक किया जायेगा। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, इण्डिया के कोआॅर्डिनेटर प्रो. एस.एल. श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रतियोगिता में B.Tech./M.B.B.S./B.U.M.S./B.A.S.M. के छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर सकते है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इच्छुक छात्र-छात्राएं 15 जनवरी 2010 तक ‘इण्डियन स्पेस मिशन’ विषय पर अपने आलेख भेज सकते है। इन आलेखों का परीक्षण कर सर्वोत्तम आलेख चुनकर, छात्र-छात्राओं को प्रतिभाग के लिए आमंत्रित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि चुने गये 5 छात्र-छात्राओं को आगामी 26 फरवरी 2010 को आयोजित होने वाले आॅन स्पाॅट कान्टेस्ट के लिए आमंत्रित किया जायेगा, जिन्हें इलाहबाद में आयोजित इस प्रतियोगिता में दिये गये विषय पर 3 घंटे में निबंध लिखना होगा। विजयी प्रतिभागी को 28 फरवरी 2009 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर सम्मानित किया जायेगा।
जनवरी 2010 में अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला
देहरादून 30 नवम्बर, 2009 परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी), न्यूक्लिअर पावर कारपोरेशन आॅफ इण्डिया लि. (एनपीसी.आईएल), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र (आईजीसीएआर) और अंतराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सहयोग से 11 से 15 जनवरी, 2010 को, हिन्द महासागर में सुनामी घटना के 5 वर्षों के पश्चात स्मरणोत्सव में ‘नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र स्थलों पर बाहरी बाढ़ के खतरों’’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। इस कार्यशाला का उद्देश्य 26 जनवरी 2004 को हिन्द महासागर में आई सूनामी घटना के पश्चात इन पांच वर्षों में किए गए वैज्ञानिक, तकनीकी और नियामक विकास पर अंतराष्ट्रीय नाभिकीय समुदाय के मध्य सूचना का आदान-प्रदान करना है। आई.एईए के प्रतिनिधि इस कार्यशाला में 40 देशों के लगभग 70 प्रतिभागियों के शामिल होने की आशा है।
रविवार, 29 नवंबर 2009
जगदीश चंद्र बोस के 152वें जन्मदिन पर भावपूर्ण स्मरण

सदस्यता लें
संदेश (Atom)