शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

नया बंदर अफ्रीका के अंदर


नया बंदर अफ्रीका के अंदर

 गुरुवार, 13 सितंबर, 2012 को 17:03 IST तक के समाचार
बंदरों को मानवों का पूर्वज कहा जाता है और अब वैज्ञानिकों ने अफ्रीका में बंदर की एक नई प्रजाति की पहचान करने का दावा किया है.
इस खोज के बारे में ऑनलाइन पत्रिका पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ़ साइंस में छापा गया है.
नई प्रजाति की पहचान डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में की गई है जहाँ इसे लेसुला कहा जाता है. इस प्रजाति की करीबी प्रजातियाँ कॉन्गो और लोमामी नदी के पार रहती हैं.
पर्यावरणविदों का कहना है कि नई खोज दर्शाती है कि कॉन्गो बेसिन में जीव विविधता का संरक्षण करने की ज़रूरत है.
बंदर की इस नई प्रजाति के साथ वैज्ञानिकों का पहला संपर्क तब हुआ जब उन्होंने एक मादा बंदर को प्राइमरी स्कूल के एक निदेशक के पास देखा जिन्होंने इसे पिंजरे में रखा हुआ था.
निदेशक इसे लेसुला के नाम से बुला रहे थे जो स्थानीय शिकारियों के बीच आम नाम है. बाद में इस बंदर को वैज्ञानिकों ने अपने देख रेख में ले लिया.
जंगलों में और भी नई प्रजातियाँ ?
स्थानीय इलाके में अपनी जाँच पड़ताल के दौरान वैज्ञानिकों को ऐसे और बंदर मिले जिन्हें पकड़ कर रखा गया था. छह महीने बाद इस प्रजाति को जंगलों में देखा गया.
इस प्रोजेक्ट की अगुआई करने वाले डॉक्टर हॉर्ट कहते हैं, “जब हमने इलाके में अपना काम शुरु किया था तो हमें पता था कि इस क्षेत्र में काफी कुछ है जो हमें पता नहीं है. लेकिन हमें ये नहीं पता था कि हमारी खोज जैविक रूप से इतनी अहम होगी. हमें उम्मीद नहीं था कि हम एक नई प्रजाति की खोज कर लेंगे.”
वैज्ञानिकों ने नई प्रजाति का नाम सरकोपाईथीकस लोमामाइनसीस (Cercopithecus lomamiensis )रखा है. शोधकर्ताओं को डर है कि ये प्रजाति मानवों के निशाने पर न आ जाए, खासकर शिकारियों के.
जीव विज्ञानियों को लगता है कि जिन जंगलों को टटोला नहीं गया है वहाँ और भी नई प्रजातियाँ हो सकती हैं.
(इस कहानी का शीर्षक हमने फेसबुक हिंदी के पन्ने पर मंगाया था और कई शीर्षकों में से हमारे पाठक रनवीर कुमार का शीर्षक पसंद किया गया है. इस समय कहानी में जो शीर्षक है वो रनवीर कुमार का दिया हुआ है. )

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